बुधवार, 25 जनवरी 2012

26 जनवरी का इतिहास


जब 15 अगस्त,1947 को भारत को अंग्रेजी शासन से मुक्ति मिली तब हमारे देश का कोई अपना संविधान नहीं था.अपना संविधान ना होने के कारण हम अपनी प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था का कार्य अंग्रेजों द्वारा संचालित नीतियों के अनुसार ही करते थे. प्रशासनिक रूप से हम 26 जनवरी 1950 को स्वतंत्र हुए.इसी कारण से भारतीय इतिहास में 26 जनवरी 1950 का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है.इस दिन भारत के अंतिम गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालचारी ने भारत को गणतंत्र राष्ट्र घोषित किया था.यह दिन भारत के लिए ऐतिहासिक हैं,क्योंकि इस दिन हमारे देश को पहली बार संप्रभु ,धर्म-निरपेक्ष , लोकतांत्रिक और गणतंत्र राज्य घोषित किया गया था.तब से लगातार इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप मे मनाया जाता है. 26 जनवरी 1950 को हमें भारत का संविधान और भारत का प्रथम राष्ट्रपति भी मिला था.सच कहा जाय तो वास्तव में हमें अंग्रेजों से आजादी भी इसी दिन मिली थी.प्रथम राष्ट्रपति के रूप में डॉ राजेंद्र प्रसाद ने इसी दिन इरविन स्टेडयिम में  भारतीय तिरंगा फहराया था तथा सेना द्वारा की हुई परेड और तोपों की सलामी भी ली थी.इस परेड में सशस्त्र सेना के तीनों बलों ने हिस्सा लिया था.तब से लगातार इस दिन भारतीय सेना के तीनों अंग नए-नए करतब दिखाकर अपनी कार्यक्षमता का परिचय देते हैं. राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने उसी दिन 26 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित कर दिया.गणतंत्र दिवस के दिन मुख्य अतिथि बुलाने की परंपरा भी इसी दिन से शुरू हुई थी.1950 मे पहले मुख्य अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो आए थे तो 2012 में मुख्य अतिथि के रूप में थाईलैंड की पहली महिला प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा शिरकत करेंगी.
26 जनवरी 1955 को पहली बार परेड राजपथ से होकर गुजरा था.,तब से लगातार परेड राजपथ से होकर गुजरता है. परेड की शुरूआत रायसीना हिल से होती है और वह राजपथ, इंडिया गेट से गुजरती हुई लालकिला तक जाती है.इसका रूट 8 किलोमीटर का है. सुविधाओं में बढ़ोतरी के कारण आज  राष्ट्रपति कार में सवार होती हैं जबकि पहले परेड में  राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद  बग्घी में सवार थे. गणतंत्र दिवस समारोह का आरंभ अमर जवान ज्योति पर प्रधानमंत्री द्वारा शहीदों की श्रदांजलि देने से  होता है तत्पश्चात शहीदों की याद में 2 मिनट का मौन रखा जाता है.इसके बाद प्रधानमंत्री इंडियागेट आते हैं जहाँ 21 तोपों की सलामी दी जाती है.राज्यों से आयी हुई झाँकियाँ सभी का मनमोह लेती हैं.इन झाँकियों में राज्यों में हुए विकास कार्य, संस्कृति और विविधता आदि को दिखाया जाता है.इस दिन वीरों को अशोक चक्र , कीर्ति चक्र, परमवीर चक्र, वीर चक्र और महावीर चक्र से सम्मानित किया जाता है.इस दिन 24 बच्चों को, जिनकी उम्र 16 साल से कम है को उनके अदम्य साहस और वीरता के लिये गीता चोपड़ा और संजय चोपड़ा अवार्ड से सम्मानित किया जाता है. सम्मान स्वरूप बच्चों को मेडल, प्रमाणपत्र और नकद राशि दी जाती है.
इस दिन पूरे भारतवर्ष में रंगारंग उत्सव मनाया जाता है. प्रत्येक राज्य में राज्यपाल तिरंगा फहराते है और परेड की सलामी लेते हैं.यह राष्ट्रीय उत्सव 3 दिनों तक चलता है.26 जनवरी के बाद 27 जनवरी को एन.सी.सी. कैडेट कई कार्यक्रम पेश करते हैं.अंतिम दिन 28 जनवरी को विजय चौक पर बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी होती है जिसमें बैंड भी शामिल होता है.पूरी दुनिया में गणतंत्र दिवस क ऐसा विशाल उत्सव केवल भारत में ही दिखता है. जय हिंद ................... जय भारत.     

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